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Showing posts from May, 2025

जगद्गुरु कृपालु जी महाराज: आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के प्रेरणास्रोत

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जगद्गुरु कृपालु जी महाराज भक्ति, आध्यात्म और प्रेम की प्रेरणा हैं। विख्यात संत कृपालु महाराज के प्रवचन, भजन और मंदिर भक्तों को ईश्वर से जोड़ते हैं।उनके आश्रम और संस्थाएं समाज सेवा में समर्पित हैं। भारत भूमि संतों और महापुरुषों की पावन स्थली रही है, जहां अनेक संतों ने जन्म लेकर मानव समाज को धर्म, भक्ति और आध्यात्म की ओर प्रेरित किया।  आगे पढ़े  

प्रेम मंदिर की यात्रा – एक 12 साल के बच्चे की नजर से(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज)

  ठंडी की छुट्टियाँ शुरू होते ही मैं बहुत खुश था। अब पूरे दो हफ़्तों के लिए ना स्कूल जाना था, ना होमवर्क करना था। मुझे लगा पापा हमको इस बार पहाड़ों पर बर्फबारी दिखाने लेकर जाएंगे, लेकिन जब पापा ने बताया कि हम वृंदावन के प्रेम मंदिर जा रहे हैं, तो मेरी एक्साइटमेंट थोड़ी कम हो गई। मुझे लगा मंदिर में तो बस पूजा-पाठ होता है, मैं वहां जाकर क्या करूंगा! मैंने जब इसके बारे में मम्मी से बोला तो उन्होनें यह कहकर टाल दिया, "एक बार चलो तो, फिर देखना!" हम सुबह तैयार होकर दिल्ली से अपनी कार से ही वृन्दावन के लिए निकले। पापा कार चला रहे थे, मम्मी और मेरी बहन पीछे वाली सीट पर थी, और मैं आगे पापा के बगल में बैठ गया। रास्ते में मैं खिड़की से बाहर देखता रहा और सोचता रहा कि पता नहीं ये ट्रिप कैसी होने वाली है। पापा रास्ते में बता रहे थे कि प्रेम मंदिर  जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज  ने बनवाया है और यह राधा-कृष्ण जी और सीता-राम जी का मंदिर है। लेकिन मैं बस सिर हिला रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि काश हम कहीं स्नोफॉल वाली जगह पर जाते।

रूपध्यान: जानें मेडिटेशन का सबसे असरदार तरीका(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज)

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  वेदों-शास्त्रों में बताया गया रूप ध्यान का यह तरीका जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने आसान भाषा में समझाया है। इस आपाधापी भरी दुनिया में अधिकांश लोग तनाव से जूझ रहे हैं। किसी को परिवार की टेंशन है तो किसी को नौकरी की। अगर ये तनाव अधिक बढ़ जाये तो ये डिप्रेशन या अवसाद का रूप ले सकता है। इस तनाव रूपी महामारी से बचने का सबसे अच्छा उपाय है मेडिटेशन। यही वजह है कि ध्यान या मेडिटेशन अब एक बहुत चर्चित शब्द बन चुका है। आजकल हमें ध्यान के कई प्रकार पढ़ने-सुनने में आते हैं जैसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन, केंद्रित ध्यान, मंत्र ध्यान, विज़ुअलाइज़ेशन मेडिटेशन, गतिशील ध्यान, प्रोग्रेसिव रिलैक्सेशन आदि।  आगे पढ़े

प्रेम रस सिद्धांत की 70वीं वर्षगांठ पर जानें पुस्तक की खास बातें

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  बात है 1955 की। भारत की स्वतंत्रता को एक दशक पूरा होने को था। अंग्रेजी शासन की बेड़ियों से मुक्त होने के बाद, किसी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या दबाव के बिना, जनसाधारण अपने जीवन के फैसले स्वयं लेने के लिए स्वतंत्र था। एक ओर जीविकोपार्जन का प्रयास था तो दूसरी ओर आध्यात्मिक उत्थान का। सदियों की पराधीनता के बाद, अब देशवासी जीवन के अस्तित्ववादी प्रश्नों के जवाब जानना चाहते थे, ईश्वर से उनके सम्बन्ध और अपनी अन्य आध्यात्मिक शंकाओं के समाधान के लिए उन्हें तलाश थी ऐसे व्यक्ति या वस्तु की जो उन्हें सत्य, धर्म और आध्यात्मिक उत्थान के मार्ग पर ले जा सके। इस परिप्रेक्ष्य में, संसार में व्याप्त भ्रम और शंका को दूर करने और जीवों को उनके कल्याण का वास्तविक मार्ग दिखाने के लिए, बसंत पंचमी के पावन अवसर पर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जनसाधारण की भाषा में एक ऐसी पुस्तक प्रस्तुत की जिसके माध्यम से उन्होंने आध्यात्मिक क्षेत्र का खरा सत्य सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया। इस पुस्तक का नाम है प्रेम रस सिद्धांत।  आगे पढ़े

The timeless legacy of the fifth Jagadguru kripalu ji.

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  Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj , the fifth original Jagadguru in history, revived the ancient path of prem bhakti —pure, selfless love for Radha-Krishna. His divine teachings, rooted in Vedic scriptures and spoken with unmatched clarity, continue to transform lives with their depth, simplicity, and power. Through kirtan, naam, smaran , and sharanagati , he gifted the world a living experience of divine bliss. His legacy is not just remembered—it is felt in the hearts of millions. READ MORE

जगद्गुरु कृपालु जी महाराज: आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के प्रेरणास्रोत

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  जगद्गुरु कृपालु जी महाराज भक्ति, आध्यात्म और प्रेम की प्रेरणा हैं। विख्यात संत कृपालु महाराज के प्रवचन, भजन और मंदिर भक्तों को ईश्वर से जोड़ते हैं। उनके आश्रम और संस्थाएं समाज सेवा में समर्पित हैं। भारत भूमि संतों और महापुरुषों की पावन स्थली रही है, जहां अनेक संतों ने जन्म लेकर मानव समाज को धर्म, भक्ति और आध्यात्म की ओर प्रेरित किया।  आगे पढ़े

प्रेम मंदिर की यात्रा – एक 12 साल के बच्चे की नजर से(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज )

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  ठंडी की छुट्टियाँ शुरू होते ही मैं बहुत खुश था। अब पूरे दो हफ़्तों के लिए ना स्कूल जाना था, ना होमवर्क करना था। मुझे लगा पापा हमको इस बार पहाड़ों पर बर्फबारी दिखाने लेकर जाएंगे, लेकिन जब पापा ने बताया कि हम वृंदावन के प्रेम मंदिर जा रहे हैं, तो मेरी एक्साइटमेंट थोड़ी कम हो गई। मुझे लगा मंदिर में तो बस पूजा-पाठ होता है, मैं वहां जाकर क्या करूंगा! मैंने जब इसके बारे में मम्मी से बोला तो उन्होनें यह कहकर टाल दिया, "एक बार चलो तो, फिर देखना!" हम सुबह तैयार होकर दिल्ली से अपनी कार से ही वृन्दावन के लिए निकले। पापा कार चला रहे थे, मम्मी और मेरी बहन पीछे वाली सीट पर थी, और मैं आगे पापा के बगल में बैठ गया। रास्ते में मैं खिड़की से बाहर देखता रहा और सोचता रहा कि पता नहीं ये ट्रिप कैसी होने वाली है। पापा रास्ते में बता रहे थे कि प्रेम मंदिर  जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज  ने बनवाया है और यह राधा-कृष्ण जी और सीता-राम जी का मंदिर है। लेकिन मैं बस सिर हिला रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि काश हम कहीं स्नोफॉल वाली जगह पर जाते।  आगे पढ़े